Image
प्रज्ञेचा शोध की पदव्यांचा बाजार? – एका नव्या शैक्षणिक क्रांतीची गरज प्रत्येक मनुष्य एका विशिष्ट जन्मजात ओढीसह (Natural Inclination) जन्माला येतो. बौद्धिक प्रगल्भता ही केवळ प्रयत्नसाध्य नसून ती उपजत असते. जर केवळ प्रयत्नांनी कोणीही काहीही बनू शकला असता, तर आज गल्लीतले सर्व विद्यार्थी ‘अल्बर्ट आईन्स्टाईन’ झाले असते. पण वास्तव वेगळे आहे. "आजची शिक्षण पद्धती माणसाची नैसर्गिक प्रज्ञा ओळखण्याऐवजी तिला एका ठराविक साच्यात कोंबण्याचा प्रयत्न करत आहे." १. आजच्या शिक्षण पद्धतीची शोकांतिका शाळा आणि महाविद्यालये केवळ ‘माहितीचे साठे’ तयार करत आहेत. सृजनशीलतेचा विकास करण्याऐवजी मेंदूवर नाहक ताण दिला जात आहे. आजचे शिक्षण ‘सेवा’ देणारे तज्ज्ञ घडवण्याऐवजी, ‘पैसा’ कमावणारे रोबोट तयार करत आहे. पदवी मिळवण्यामागे सेवा हा भाव नसून पैसाच प्रेरणा ठरत आहे. २. कौशल्यपूर्ण आणि थेट शिक्षण: काळाची गरज आपल्याला अशा शिक्षण व्यवस्थेची गरज आहे जिथे शिक्षण केवळ पुस्तकी न राहता प्रत्यक्ष अनुभवाधार...

MSP क्यों आवश्यक है?

Shramik Kranti – Garibon Ka Aawaz

 

MSP क्यों आवश्यक है? (सरल भाषा में)

भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता। बाजार की अनिश्चितता और व्यापारियों की मनमानी को देखते हुए, MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के लिए बेहद जरूरी है।

1) किसान की उत्पादन लागत पूरी करने के लिए MSP आवश्यक

बीज, खाद, दवाई, मजदूरी, पानी, डीज़ल, परिवहन, जमीन किराया — इन सभी खर्चों के बावजूद बाजार भाव कई बार इतना कम होता है कि किसान अपनी लागत भी निकाल नहीं पाता। MSP लागत + उचित लाभ की गारंटी देता है।

2) बाजार के अस्थिर दामों के कारण MSP आवश्यक

बाजार भाव कभी ऊपर तो कभी नीचे जाते हैं। व्यापारियों का गठजोड़, आपूर्ति बढ़ना, आयात-निर्यात, अंतरराष्ट्रीय बाजार — इन सबका असर पड़ता है। MSP किसान के लिए न्यूनतम तयशुदा भाव सुनिश्चित करता है।

3) व्यापारियों की मनमानी से बचाव के लिए MSP आवश्यक

कई जगह व्यापारी नमी बता कर कम रेट देते हैं, कट-कपात करते हैं या भुगतान देर से करते हैं। MSP होने पर किसान को कम से कम एक निश्चित कीमत मिलती है और वह पूरी तरह व्यापारी पर निर्भर नहीं रहता।

4) किसान को स्थिर आय देने के लिए MSP आवश्यक

खेती की आय बेहद अनिश्चित होती है। MSP किसान को स्थिरता देता है, कर्ज का बोझ कम करता है और अगली फसल की योजना बनाने में मदद करता है।

5) देश की खाद्य सुरक्षा के लिए MSP आवश्यक

सरकार PDS, राशन प्रणाली, मध्यान्ह भोजन योजना आदि के लिए अनाज MSP पर ही खरीदती है। MSP खत्म होने पर खाद्य भंडारण प्रणाली कमजोर पड़ जाएगी।

6) C2 + 50% सूत्र MSP को न्यायसंगत बनाता है

स्वामीनाथन आयोग ने सुझाव दिया था कि MSP C2 लागत + 50% लाभ के आधार पर तय होना चाहिए। यह किसान को उचित और सम्मानजनक मूल्य देता है।

निष्कर्ष

MSP किसान का सुरक्षा कवच है। यह देश की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य है। MSP कोई दया नहीं — किसान का अधिकार है।

लेखक: अरुण रामचंद्र पांगारकर
श्रमिक क्रांति मिशन – गरीबों की आवाज़


अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो तो कमेंट में अपने विचार जरूर साझा करें।

टैग: कृषि, किसान, MSP, खेती-नीति, ग्रामीण-अर्थव्यवस्था

Comments

Popular posts from this blog

✍️ अखेर अवतरली गंगा; शिवपिंडीवरील रक्ताभिषेक पावन झाला लोकप्रतिनिधींच्या भगीरथ प्रयत्नांना यश

भारतातील शेती व्यवसाय: बाजारभाव जुगारासारखा का झाला? इतर देशांतही अशीच परिस्थिती आहे का?