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प्रज्ञेचा शोध की पदव्यांचा बाजार? – एका नव्या शैक्षणिक क्रांतीची गरज प्रत्येक मनुष्य एका विशिष्ट जन्मजात ओढीसह (Natural Inclination) जन्माला येतो. बौद्धिक प्रगल्भता ही केवळ प्रयत्नसाध्य नसून ती उपजत असते. जर केवळ प्रयत्नांनी कोणीही काहीही बनू शकला असता, तर आज गल्लीतले सर्व विद्यार्थी ‘अल्बर्ट आईन्स्टाईन’ झाले असते. पण वास्तव वेगळे आहे. "आजची शिक्षण पद्धती माणसाची नैसर्गिक प्रज्ञा ओळखण्याऐवजी तिला एका ठराविक साच्यात कोंबण्याचा प्रयत्न करत आहे." १. आजच्या शिक्षण पद्धतीची शोकांतिका शाळा आणि महाविद्यालये केवळ ‘माहितीचे साठे’ तयार करत आहेत. सृजनशीलतेचा विकास करण्याऐवजी मेंदूवर नाहक ताण दिला जात आहे. आजचे शिक्षण ‘सेवा’ देणारे तज्ज्ञ घडवण्याऐवजी, ‘पैसा’ कमावणारे रोबोट तयार करत आहे. पदवी मिळवण्यामागे सेवा हा भाव नसून पैसाच प्रेरणा ठरत आहे. २. कौशल्यपूर्ण आणि थेट शिक्षण: काळाची गरज आपल्याला अशा शिक्षण व्यवस्थेची गरज आहे जिथे शिक्षण केवळ पुस्तकी न राहता प्रत्यक्ष अनुभवाधार...

गरीबों की आवाज़: नेताजी के विचारों से प्रेरणा

गरीबों की आवाज़: नेताजी के विचारों से प्रेरणा

नेताजी सुभाषचंद्र बोस केवल एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि वे गरीब, श्रमिक और शोषित समाज के लिए एक महान प्रेरणा स्रोत थे। उनका समाजवाद आधारित चिंतन, गरीबों में आत्म-सम्मान और संघर्ष की चेतना जगाने वाला था।

1. "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा"

इस एक वाक्य में शक्ति है – श्रमिकों और मेहनतकशों को अपने हक के लिए खड़े होने की प्रेरणा। आज भी यही पुकार है: अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाओ।

2. नेताजी का समाजवादी दृष्टिकोण

नेताजी कहते थे:

“समाज की सच्ची तरक्की वही है, जो सबसे निचले तबके के जीवन में बदलाव लाए।”

इसलिए श्रमिक क्रांति वास्तव में नेताजी के विचारों की जीवंत अभिव्यक्ति है।

3. गरीबों के लिए आंदोलन – ऐतिहासिक आवश्यकता

नेताजी ने आज़ादी के लिए 'आजाद हिन्द फौज' बनाई थी। उसी तरह, आज गरीबों के हक के लिए एक संगठित जन आंदोलन जरूरी है – जो शिक्षा, रोजगार और सम्मान के लिए संघर्ष करे।

4. आज के दौर में नेताजी के विचार कैसे अपनाएं?

  • ✅ गरीबों में आत्मविश्वास पैदा करें
  • ✅ श्रमिकों की समस्याओं पर खुली बातचीत करें
  • ✅ सामाजिक समानता के लिए संगठित संघर्ष करें

5. "श्रमिक क्रांति – गरीबों की आवाज़" : नेताजी की आधुनिक प्रेरणा

आज हम "श्रमिक क्रांति" आंदोलन के माध्यम से नेताजी के विचारों को समाज में स्थापित कर रहे हैं। यह केवल एक आंदोलन नहीं, बल्कि गरीबों के आत्म-सम्मान की लहर है।

🔚 निष्कर्ष:

“नेताजी का विचार आज भी जीवित है – हर गरीब के स्वाभिमान और श्रमिक के पसीने में।”

"श्रमिक क्रांति – गरीबों की आवाज़" नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विचारों की एक सशक्त आज की अभिव्यक्ति है।

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