नयी दृष्टि – सच्ची शिक्षा और कर्तृत्व
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नयी दृष्टि – सच्ची शिक्षा और कर्तृत्व
स्कूली शिक्षा ≠ परिपूर्ण शिक्षा
आज शिक्षा की परिभाषा अक्सर स्कूल, कॉलेज और डिग्री तक सीमित रह जाती है। लेकिन सच्ची शिक्षा केवल किताबों का ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन गढ़ने वाले कौशल, अनुभव और समाजोपयोगी कला-कौशल है। स्कूली शिक्षा इंसान को नौकरी के योग्य बनाती है, जबकि सच्ची शिक्षा उसे स्वावलंबन और देशसेवा का मार्ग दिखाती है।
कौशल, अनुभव और समाजोपयोगी कला-कौशल
- किसान खेती करके देश को अन्न देता है—यह मूलभूत राष्ट्रीय सेवा है।
- कारीगर, मज़दूर, कारखाने के श्रमिक—ये उत्पादन की रीढ़ हैं।
- इंजीनियरी, हस्तकला, निर्माण, सिलाई, स्वास्थ्य सेवा—ये सब राष्ट्र की प्रगति हेतु अनिवार्य कौशल हैं।
इसीलिए स्कूली शिक्षा के साथ व्यावहारिक, कौशल-आधारित शिक्षा देना आवश्यक है।
हर काम को उचित दाम—तो गरीबी स्वतः घटेगी
जब श्रम और कौशल की कीमत में विषमता होती है, तब अमीरी-गरीबी की खाई बढ़ती है।
- मज़दूर को श्रम का उचित पारिश्रमिक मिले,
- किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य + लाभ में हिस्सा मिले,
- कारीगर को उसकी कला की वास्तविक कीमत मिले—
तो गरीबी स्वतः घटती/नष्ट होती दिखेगी।
कर्तृत्व की सच्ची परिभाषा
“आज हर व्यक्ति जो काम केवल अपने लिए करता है, वही यदि देश के लिए करे, तो देश और व्यक्ति—दोनों समृद्ध होते हैं।”
कर्तृत्व केवल डिग्री, नौकरी या संपत्ति नहीं; कर्तृत्व है—स्वयं का विकास करते हुए समाज को भी ऊपर उठाना।
अंतिम आह्वान
गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विषमता विरोध और न्यायसंगत अर्थ-वितरण के लिए यह अभियान केवल विचारों का नहीं, कर्म का भी होना चाहिए।
👉 अतः तन, मन, धन से गरीबी हटाओ और आर्थिक विषमता विरोधी आंदोलन में सहभागी बनें।
✊ श्रमिक क्रांति – गरीबों का आवाज़ ✊
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