साम्यवाद आधारित आदर्श व्यवस्था और गरीबी उन्मूलन
साम्यवाद आधारित आदर्श व्यवस्था और गरीबी उन्मूलन
यदि समाजवादी/साम्यवाद आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था को व्यवहारिक रूप दिया जाए, तो गरीबी का उन्मूलन संभव है। इसके लिए खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, न्याय, कला और खेल जैसे सभी क्षेत्र सरकारी नियंत्रण और सामाजिक भागीदारी के अंतर्गत आएँ।
एकीकृत भुगतान प्रणाली
हर व्यक्ति सेवा देगा और बदले में उसे आर्थिक पारिश्रमिक मिलेगा। यह पारिश्रमिक पूरी तरह कैशलेस (डिजिटल या चेक) होगा। सभी को समान बेसिक आय मिलेगी; इसके अतिरिक्त कार्य की प्रकृति, उपयोगिता, मेहनत, समय, कौशल और विशिष्टता के आधार पर इंसेंटिव दिया जाएगा।
खेती क्षेत्र का विभाजन
1) योजना विभाग (Planning)
- देश-विदेश की खाद्य आवश्यकताओं का अध्ययन व वार्षिक योजना तैयार करना।
- जलवायु, मिट्टी, जल-उपलब्धता और भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार फसल समूह तय करना।
- किसानों को बीज, खाद और अन्य संसाधन उपलब्ध कराना (Contract Farming मॉडल पर)।
2) उत्पादन विभाग (Production)
- योजना विभाग के निर्देशानुसार समय पर और गुणवत्ता के साथ कृषि उत्पादन करना।
3) विपणन विभाग (Marketing)
- किसानों से उपज का अधिग्रहण कर उसकी बिक्री करना (दलाल-मुक्त व्यवस्था)।
- सारी बिक्री डिजिटल/चेक से; प्राप्त राशि सरकारी कोष में जमा होगी।
- डिजिटल सिस्टम से सभी का वेतन सीधे उनके बैंक खाते में जाएगा।
कैशलेस लेन-देन के लाभ
- हर आर्थिक लेन-देन on-record रहेगा, इसलिए किसी भी समय प्रमाण प्रस्तुत करना आसान।
- भ्रष्टाचार, हवाला, काला धन और संगठित अपराध पर प्रभावी अंकुश।
- कर-आधार व्यापक होने से सरकार को स्थिर राजस्व मिलेगा—जिसका उपयोग विकास और गरीबी उन्मूलन में होगा।
निष्कर्ष
समान बेसिक आय + पारदर्शी डिजिटल भुगतान + प्रदर्शन-आधारित इंसेंटिव के साथ यह व्यवस्था न्याय, पारदर्शिता और समानता स्थापित कर सकती है, और गरीबी को जड़ से खत्म करने का आधार बनेगी।
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