गरीबी और अमीरी कर्तृत्व से नहीं, व्यवस्था से जुड़ी है!
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गरीबी और अमीरी कर्तृत्व से नहीं, व्यवस्था से जुड़ी है!
हमारे देश में गरीबी के कारण ‘जो दिखता है वो होता नहीं और इसलिए दुनिया धोखा खा जाती है’ इस श्रेणी में आते हैं। इन कारणों को देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि गरीबी = अकर्तृत्व नहीं और अमीरी = कर्तृत्व नहीं। हमारे देश में गरीबी का मुख्य कारण है दोषपूर्ण अर्थ वितरण प्रणाली।
देश में जिनका काम असली राष्ट्र सेवा है, उन्हें बहुत कम पैसा मिलता है। और जिनका काम वास्तव में राष्ट्र विरोधी है, उन्हें भरपूर पैसा मिलता है। देश जितना करदाताओं के कर पर चलता है, उससे कहीं अधिक कम वेतन पर काम करने वाले श्रमिकों के शोषण पर चलता है – यह एक कड़वा सच है।
जो अधिक पैसा कमाता है वही कर्तृत्ववान है – ऐसी मानसिकता भारतीयों में घर कर गई है, जो कि बहुत ही निम्न स्तर की सोच है। असल में जिस काम से देश का अधिकतम विकास होता है, वही सच्चा कर्तृत्व है – यही इसकी परिभाषा होनी चाहिए।
उदाहरण के लिए, किसान खेती करता है जिससे सभी को भोजन मिलता है और सब जीवित रह सकते हैं। इसलिए असली कर्तृत्व किसान का है; लेकिन उसे फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता और वह गरीब रहता है, इसलिए उसे अकर्तृत्व समझा जाता है।
इसके विपरीत नशीले पदार्थ, शराब, गुटखा बेचने वाले लोग करोड़पति बन जाते हैं। जबकि उनके उत्पाद लोगों का जीवन बर्बाद करते हैं – यानी उनका काम देशद्रोह है। फिर भी, उनके पास पैसा है इसलिए उन्हें कर्तृत्ववान माना जाता है।
यह गिरी हुई मानसिकता का प्रतीक है। मोटी सैलरी लेकर बेईमानी से काम करने वाले भ्रष्ट अधिकारी और नेता भी असल में मुफ्तखोर ही हैं।
गरीबों को मुफ्त राशन और अन्य सुविधाएं चाहिए ही, क्योंकि उन्हें उनके काम का उचित भुगतान नहीं मिलता। अगर दिया जाए तो उन्हें फ्री योजनाओं की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
गरीबों को फ्री में कुछ मिले तो जो परेशान होते हैं, उन्हें ये अमीर भ्रष्ट मुफ्तखोर क्यों नहीं दिखते? यह सोचने का विषय है।
✳ पैसा किसे और क्यों मिलता है?
कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक पैसा मिलता है, इसका कारण है व्यवस्था। अधिक पैसा मिलने का मतलब यह नहीं कि उस क्षेत्र का काम अधिक देशोपयोगी है।
उदाहरण – फिल्म कलाकार बनाम किसान
- फिल्म कलाकार लाखों-करोड़ों कमाते हैं क्योंकि जनसंख्या अधिक है और बाजार बड़ा है।
- अगर वे काम बंद करें तो मनोरंजन रुक जाएगा, लेकिन लोग नहीं मरेंगे।
- किसान- मजदूर अगर काम बंद करें तो खाने की कमी हो जाएगी – देश संकट में आ जाएगा।
- ठेका श्रमिक और मेहनतकश जरूरी वस्तुएं बनाते हैं – वे रुकें तो देश रुक जाएगा।
इसलिए महत्वपूर्ण काम = अधिक वेतन यह होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता। इसलिए जरूरी काम करने वाले गरीब रहते हैं और कुछ प्रसिद्ध लेकिन कम उपयोगी लोग अमीर बन जाते हैं।
✅ समाधान : आदर्श अर्थवितरण प्रणाली
अगर यह तस्वीर बदलनी है तो न्यायपूर्ण और आदर्श अर्थवितरण प्रणाली बनानी होगी जिसमें हर एक को उसके काम का उचित दाम मिले।
ऐसी अर्थव्यवस्था बन गई तो देश की गरीबी निश्चित रूप से खत्म हो जाएगी।
उदाहरण केवल मुद्दा समझाने के लिए है। हमें कलाकारों के प्रति आदर है।
– अरुण रामचंद्र पांगारकर
संस्थापक,
आदर्श अर्थवितरण प्रणाली अभियान एवं गरीबी उन्मूलन आंदोलन
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