ग्रामीण अस्पतालों में सर्पदंश की दवा क्यों आवश्यक है?
ग्रामीण अस्पतालों में सर्पदंश की दवा क्यों आवश्यक है?
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान, खेतिहर मजदूर और सामान्य नागरिकों को सर्पदंश का खतरा शहरी क्षेत्रों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। खेतों में काम करना, रात भर जागरण, गर्मी-बरसात में खुले में रहना – इन सभी कारणों से ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश की घटनाएँ बार-बार होती हैं।
लेकिन दुर्भाग्यवश, ऐसे समय पर जीवन रक्षक Anti-Snake Venom Serum (ASVS) अक्सर ग्रामीण अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होता। इसके कारण पीड़ित को शहर के बड़े अस्पताल में ले जाना पड़ता है। इस दौरान समय नष्ट होता है और कई बार रोगी की मृत्यु हो जाती है।
समस्या क्यों गंभीर है?
- भारत में हर साल 40,000 से अधिक मौतें सर्पदंश से होती हैं, जिनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों की होती हैं।
- ग्रामीण अस्पतालों में दवाओं और टीकों का भंडार अपर्याप्त होता है।
- शहर तक पहुँचने से पहले ही रोगी की जान चली जाती है।
- जनता में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
क्या किया जाना चाहिए?
- ग्रामीण अस्पतालों में Anti-Snake Venom Serum का स्थायी भंडार रखा जाए।
- नियमित आपूर्ति की व्यवस्था – दवा हमेशा उपलब्ध रहे, इसकी जिम्मेदारी तय हो।
- मासिक रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए – कितनी दवा आई, कितनी प्रयोग हुई और कितनी शेष है, इसकी पारदर्शी जानकारी।
- स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण – ताकि सर्पदंश के रोगी का तुरंत सही उपचार हो सके।
श्रमिक क्रांति मिशन की भूमिका
ग्रामीण गरीब और मजदूरों को स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलना उनका मौलिक अधिकार है। सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए, यही हमारी माँग है। अन्यथा यह गंभीर समस्या और अधिक जनहानि करेगी।
निष्कर्ष
सर्पदंश एक आपदा है, लेकिन समय पर Anti-Snake Venom Serum उपलब्ध हो तो रोगी की जान बचाई जा सकती है।
इसलिए ग्रामीण अस्पतालों में यह दवा उपलब्ध कराना केवल चिकित्सा आवश्यकता नहीं बल्कि ग्रामीण जनता के जीवन के अधिकार का प्रश्न है।
लेखक: अरुण रामचंद्र पांगारकर
प्रणेता,
श्रमिक क्रांति मिशन: गरीबों की आवाज
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