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प्रज्ञेचा शोध की पदव्यांचा बाजार? – एका नव्या शैक्षणिक क्रांतीची गरज प्रत्येक मनुष्य एका विशिष्ट जन्मजात ओढीसह (Natural Inclination) जन्माला येतो. बौद्धिक प्रगल्भता ही केवळ प्रयत्नसाध्य नसून ती उपजत असते. जर केवळ प्रयत्नांनी कोणीही काहीही बनू शकला असता, तर आज गल्लीतले सर्व विद्यार्थी ‘अल्बर्ट आईन्स्टाईन’ झाले असते. पण वास्तव वेगळे आहे. "आजची शिक्षण पद्धती माणसाची नैसर्गिक प्रज्ञा ओळखण्याऐवजी तिला एका ठराविक साच्यात कोंबण्याचा प्रयत्न करत आहे." १. आजच्या शिक्षण पद्धतीची शोकांतिका शाळा आणि महाविद्यालये केवळ ‘माहितीचे साठे’ तयार करत आहेत. सृजनशीलतेचा विकास करण्याऐवजी मेंदूवर नाहक ताण दिला जात आहे. आजचे शिक्षण ‘सेवा’ देणारे तज्ज्ञ घडवण्याऐवजी, ‘पैसा’ कमावणारे रोबोट तयार करत आहे. पदवी मिळवण्यामागे सेवा हा भाव नसून पैसाच प्रेरणा ठरत आहे. २. कौशल्यपूर्ण आणि थेट शिक्षण: काळाची गरज आपल्याला अशा शिक्षण व्यवस्थेची गरज आहे जिथे शिक्षण केवळ पुस्तकी न राहता प्रत्यक्ष अनुभवाधार...

 

प्रत्येक श्रम को सम्मानित मूल्य देने के उपाय

प्रत्येक श्रम को सम्मानित मूल्य देने के उपाय

“प्रत्येक काम को उचित दाम मिले” यह एक आदर्श है, लेकिन इसके लिए व्यवहारिक मार्ग तय करना आवश्यक है। नीचे चरणबद्ध उपाय प्रस्तुत हैं:

✅ १. काम की सामाजिक उपयोगिता का मूल्यांकन

हर काम से समाज और राष्ट्र को क्या लाभ होता है, इसका अध्ययन करना।

  • उदाहरण – किसान अन्न उगाता है → सीधे जीवन-आवश्यक जरूरत पूरी करता है (उच्च मूल्य)।
  • फ़िल्मी मनोरंजन → आवश्यकता से पूरक (कम मूल्य)।

👉 इस प्रकार काम का सामाजिक उपयोग स्कोर तय करना।

✅ २. श्रम, कौशल और जोखिम का मापन

  • काम में कितना शारीरिक और मानसिक श्रम लगता है।
  • इसके लिए कितने वर्षों की शिक्षा/प्रशिक्षण आवश्यक है।
  • काम में कितना जोखिम है (जैसे – निर्माण मजदूर बनाम ऑफिस जॉब)।

👉 इसके आधार पर मानधन का स्तर (ग्रेड) तय किया जा सकता है।

✅ ३. जीवन-निर्वाह के लिए न्यूनतम दाम

देश की महँगाई, भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य की जरूरतों को देखकर न्यूनतम वेतन तय करना।

इससे कम किसी भी काम को भुगतान न मिले।

✅ ४. अधिकतम आय पर सीमा

एक कलाकार/कॉर्पोरेट/व्यापारी करोड़ों कमाता है और किसान न्यूनतम दाम से भी वंचित रहता है – इस असमानता को रोकने के लिए:

  • आयकर और संपत्ति कर द्वारा सीमा लगाना।
  • अतिरिक्त राशि सरकार के पास जमा करके निम्न-आय वर्ग में वितरित करना।

✅ ५. स्वतंत्र “काम मूल्य आयोग” की स्थापना

  • सरकार न्यायपूर्ण आय-वितरण के लिए आयोग बनाए।
  • आयोग हर व्यवसाय का अध्ययन करके उचित मानधन का मानक घोषित करे।
  • जैसे आज “न्यूनतम वेतन मंडल” है, वैसे ही “सामाजिक उपयोगिता आधारित मानधन मंडल” बनाया जा सकता है।

✅ ६. ऑनलाइन/डिजिटल अर्थव्यवस्था

  • सारी कमाई सीधे बैंक खाते में → सरकार हर व्यक्ति की आय का अध्ययन कर सके।
  • पारदर्शिता → भ्रष्टाचार में कमी।
  • कौन ज्यादा, कौन कम कमा रहा है इसका अध्ययन करके संतुलन लाया जा सकता है।

🔑 संक्षिप्त उपाय

“काम की सामाजिक उपयोगिता + श्रम-कौशल + जीवन-निर्वाह आवश्यकताएँ” इन तीन तत्वों के आधार पर दाम तय किया जाए, तभी न्यायपूर्ण वितरण संभव होगा।

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