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प्रज्ञेचा शोध की पदव्यांचा बाजार? – एका नव्या शैक्षणिक क्रांतीची गरज प्रत्येक मनुष्य एका विशिष्ट जन्मजात ओढीसह (Natural Inclination) जन्माला येतो. बौद्धिक प्रगल्भता ही केवळ प्रयत्नसाध्य नसून ती उपजत असते. जर केवळ प्रयत्नांनी कोणीही काहीही बनू शकला असता, तर आज गल्लीतले सर्व विद्यार्थी ‘अल्बर्ट आईन्स्टाईन’ झाले असते. पण वास्तव वेगळे आहे. "आजची शिक्षण पद्धती माणसाची नैसर्गिक प्रज्ञा ओळखण्याऐवजी तिला एका ठराविक साच्यात कोंबण्याचा प्रयत्न करत आहे." १. आजच्या शिक्षण पद्धतीची शोकांतिका शाळा आणि महाविद्यालये केवळ ‘माहितीचे साठे’ तयार करत आहेत. सृजनशीलतेचा विकास करण्याऐवजी मेंदूवर नाहक ताण दिला जात आहे. आजचे शिक्षण ‘सेवा’ देणारे तज्ज्ञ घडवण्याऐवजी, ‘पैसा’ कमावणारे रोबोट तयार करत आहे. पदवी मिळवण्यामागे सेवा हा भाव नसून पैसाच प्रेरणा ठरत आहे. २. कौशल्यपूर्ण आणि थेट शिक्षण: काळाची गरज आपल्याला अशा शिक्षण व्यवस्थेची गरज आहे जिथे शिक्षण केवळ पुस्तकी न राहता प्रत्यक्ष अनुभवाधार...

किसान और मजदूर बनाम उच्च आय वर्ग : देश सेवा, आर्थिक असमानता और समानता का संघर्ष

किसान और मजदूर बनाम उच्च आय वर्ग : देश सेवा, आर्थिक असमानता और समानता का संघर्ष

किसान और मजदूर बनाम उच्च आय वर्ग : देश सेवा, आर्थिक असमानता और समानता का संघर्ष

भारतीय समाज में विभिन्न व्यवसायों की आर्थिक आय और देश सेवा में बड़ा अंतर है। खेत मजदूर, अनुबंध मजदूर, किसान, औद्योगिक मजदूर जैसे वर्ग अत्यावश्यक काम करते हुए भी अत्यंत कम आय प्राप्त करते हैं, जबकि वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, कलाकार, खिलाड़ी, उद्यमी, व्यापारी तथा दलाल और अनैतिक मार्ग से बड़ी कमाई करने वाले वर्ग अत्यधिक आय कमाते हैं। यह विरोधाभास केवल अन्यायपूर्ण ही नहीं, बल्कि गरीबी, असमानता और सामाजिक असंतोष का मुख्य कारण भी है।

आर्थिक आय का वास्तविक अंतर

व्यवसाय वर्ग सालाना औसत आय (INR) देश सेवा में भूमिका / गुणवत्ता सामान्यतः पारदर्शिता
खेतमजूर / अनुबंध मजदूर ₹96,000 से ₹1,80,000 अनाज उत्पादन, प्राथमिक आवश्यकताएं पूरी करते हैं ईमानदार, श्रम प्रधान
किसान ₹1,68,000 से ₹2,16,000 लोगों को अन्न, वस्त्र, कच्चा माल देते हैं प्रमुखतः ईमानदार
औद्योगिक एवं निर्माण मजदूर ₹2,70,000 से ₹4,70,000 बुनियादी ढांचा, उत्पादन बनाए रखते हैं ईमानदार
वकील ₹3,00,000 से ₹22,80,000 (औसत), कुछ ₹50 लाख तक न्याय व्यवस्था का संरक्षण विविध, कुछ ईमानदार, कुछ लाभ प्रधान
डॉक्टर / इंजीनियर ₹6,00,000 से ₹24,00,000 स्वास्थ्य सेवा, वैज्ञानिक प्रगति कुछ ईमानदार, कुछ व्यावसायिक
उद्योगपति / व्यापारी / दलाल लाखों से करोड़ों (बहुत विषमता) अर्थव्यवस्था, व्यापार, रोजगार निर्माण कुछ देश हितकारी, कई लाभ केंद्रित
कलाकार / खिलाड़ी ₹10,00,000 से ₹5 करोड़+ (लोकप्रियता पर निर्भर) मानसिक प्रेरणा, आनंद, राष्ट्रीय गौरव विविध
अनैतिक मार्ग से कमाई कोई सीमा नहीं (करोड़ों / अरबों) देश हित के लिए हानिकारक स्पष्ट रूप से अपारदर्शी
सरकारी अधिकारी (कुछ) ₹6,00,000 से ₹30,00,000+ (भ्रष्टाचार के कारण) प्रशासन, सेवा नैतिकता असमंजस

वास्तविक आय कम होने का तथ्य

आधुनिक आंकड़ों के अनुसार, खेत मजदूर को मासिक ₹8,000 से ₹15,000 (सालाना ₹96,000 से ₹1,80,000) के बीच मजदूरी मिलती है। अनुबंध मजदूर की मासिक आय ₹12,000 से ₹18,000 (सालाना ₹1.44 लाख से ₹2.16 लाख) के बीच है, जिसके बावजूद रोजगार की अनिश्चितता और सामाजिक सुरक्षा की कमी के कारण वास्तविक आय इससे कम होती है। किसानों की मासिक आय ₹14,000 से ₹18,000 के बीच है। विभिन्‍न भौगोलिक और सामाजिक विषमताओं के कारण यह आय और भी कम हो सकती है। इन कारणों से इन वर्गों का जीवन स्तर बेहद कमजोर है।

समानता की आवश्यकता और कारण

  • मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति: अन्न, वस्त्र और आवास देने वाले श्रमिकों को न्यायसंगत आय प्राप्त होनी चाहिए।
  • सामाजिक न्याय: असमान आय से गरीबी और सामाजिक विषमता बढ़ती है।
  • आर्थिक समानता: देश की सही प्रगति के लिए धन सभी वर्गों तक समान रूप से पहुंचे।
  • श्रम का न्यायपूर्ण सम्मान: श्रमिकों को सही आर्थिक और सामाजिक प्रतिष्ठा मिले।

निष्कर्ष

देश सेवा का मुख्य आधार ईमानदार मेहनत करने वाले श्रमिक हैं। इनकी आय में न्याय और समानता आवश्यक है। उच्च आय वर्ग को भी आय वितरण में संतुलन बनाए रखना होगा। इससे सामाजिक स्थिरता, आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन में मदद मिलेगी।

लेखक: अरुण रामचंद्र पांगारकर प्रवर्तक: श्रमिक क्रांति मिशन: गरीबों की आवाज

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