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🌏 ये नील गगन के तले – गरीबी हटाओ आंदोलन का संदेश
भारतीय सिनेमा की 1967 की फिल्म हमराज़ का अमर गीत "ये नील गगन के तले, धरती का प्यार पले" सिर्फ प्रकृति का गुणगान नहीं है, बल्कि समाज और जीवन के लिए एक गहरा सबक देता है।
🎶 गीत की जानकारी
- गीतकार – साहिर लुधियानवी
- संगीतकार – रवि
- गायक – महेंद्र कपूर (1968 में फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त)
- फिल्म में कलाकार – राज कुमार और विमी
🌱 प्रकृति का संदेश और गरीबों का जीवन
"धरती का प्यार" यानी अन्न, जल, छाँव – जो अमीर-गरीब सभी के लिए समान है। लेकिन आज की हकीकत अलग है –
- किसान अनाज उगाता है, पर उसे उचित दाम नहीं मिलता।
- मजदूर पसीना बहाता है, पर उसका घर खाली रहता है।
- धरती की संपत्ति सबकी है, पर उसका लाभ कुछ गिने-चुने लोगों तक सीमित है।
🌾 धरती का प्यार और श्रमिकों का पसीना
यह गीत कहता है – "धरती का प्यार पले" – लेकिन यह प्यार तभी फलेगा जब किसान, मजदूर और श्रमिकों को न्याय और सम्मान मिलेगा।
✊ गरीबी हटाओ आंदोलन से जुड़ाव
हमारी श्रमिक क्रांति – गरीबों की आवाज इसी संदेश को लेकर आगे बढ़ रही है:
- हर हाथ को काम – नीले गगन के नीचे हर हाथ को रोजगार मिलना चाहिए।
- हर काम को उचित दाम और सम्मान – श्रमिकों की मेहनत का उचित मूल्य और सम्मान मिलना चाहिए।
- समता पर आधारित समाज – जैसे धरती और आकाश सबको बराबर छाया देते हैं, वैसे ही हमारी अर्थव्यवस्था और समाज भी भेदभाव रहित होना चाहिए।
☮️ गीत का आज का अर्थ
"धरती का प्यार पाना है, तो धरती को संजोकर रखना होगा।"
गरीबी हटाओ आंदोलन धरती के प्रेम के सही वितरण का संघर्ष है। जब हर श्रमिक, हर गरीब के जीवन में रोजगार, अन्न और सम्मान आएगा, तभी सच में "धरती का प्यार पले" यह पंक्ति साकार होगी।
✨ निष्कर्ष
"ये नील गगन के तले" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि हमारे गरीबी हटाओ आंदोलन का सांस्कृतिक घोषवाक्य है। प्रकृति का प्यार सबके लिए है। जब तक गरीब और श्रमिकों को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक सच्ची शांति और समृद्धि संभव नहीं है।
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